( तर्ज - ईश्वरको जान बंदे ० )
निजरूप वह तुम्हारा ,
इस दासको दिखादो ।
मारग हमें बतादो ,
वह बोध दिल सिखादो ॥ टेक ॥
हम भूलमें पड़े हैं ,
विषयों में जा अडे हैं ।
वह भूल दूर करके ,
अग्यानको हटादो ।। १ ।।
तुमरे बिना न अब है ,
साथी कोई हमारा ।
गुरुदेव ! हम दिनोंपर ,
पूरी मेहर फिरादो ॥ २ ॥
तुकड्याकि आस यह है ,
उस रूपको बताओ । '
मैं कौन हूँ ' खबर दो ,
निज बोध दिल लिखादो ॥३ ॥
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